Tuesday, December 6, 2011

समाजिक, आर्थिक असमानता एंव भ्रष्टाचार

समाजिक, आर्थिक असमानता एंव भ्रष्टाचार

 आधुनिक जगत क महान विरोधभास यह है कि हर स्थान पर मनुष्य अपने को समानता के सिद्धान्त का समर्थक बताते है और हर स्थान पर वे अपने जीवन में तथा दुसरे के जीवन में असमानता की उपस्थिति का सामना करते है।-आन्द्रे बेतई

 समाज में किसी खास वर्ग को किसी वस्तु त्यौहार और विश्वमें अलग जाता है तो,असमानता श्रेणी में माना जाता है। समाज में असमानता अलग -अलग रुप में बांटी हुंई है। प्रथम प्राकृतिक या जैविक जैसे लिंगस्वास्थ्य शारीरिक शक्तिआयुबुद्धि के स्तर पर देखते है। इन कमीयों के कारणएक व्यक्ति अपने आपको समाज से अलग पाता हैं। मानसिक स्थिति ठिक नही होती हैं। यह एक पिछड़े वर्ग में ही गिनते है।
दुसरी स्थिति समाजिक ओर आर्थिक होती है जिसमें व्यक्ति के रहन-सहन समाजिक स्तर आदि चीजों को देखा जाता हैं। जिसमे अलग-अलग आर्थिक स्थिति के कारण माने जाते हैं।
भ्रष्टाचार  सस्ंकृति में वायरस की तरह फैलता जा रहा हैं। विदेशी फैसन के तौर पर अपना रहे हैं। जब सस्ंकृति का हनन होता हैं तो इसे सस्ंकृति भ्रष्टाचार  की श्रेणी में आता है। विकास के नाम पर फिजुल खार्ची में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
हर कोई सबसे आगे रहना चहाता है। ये अच्छा भी है। जिसके लिए विश्वविधालय और स्कुलों में प्रष्न पत्र लीक किये जाते हैं। गैर सरकारी स्कुल सबसे आगे रहने के लिए जुगाड़ लगाते हैं। बच्चों को शुरु में ही भ्रष्टाचार  में ढकेल रहे है।
भारत को आजाद हुए 63 साल हो गये है। लेकिन आज भी छुआछूत,जाति को देखा जाता है। इतने लम्बे समय में थोड़ा सा तो बदलाव आया है। लेकिन स्थिति बहुत ज्यादा नहीं सुधरी है। राजा राम मोहन रायस्वामी विवेकानन्दज्योति बा फुले ने समान में एकता व समानता लाने के लिए आगे आये। स्वंतत्रता की लड़ाई में महात्मा गांधी ने मूल मंत्र दिया की एकता में शक्ति हैं। एक जुट रहना होगा। अपने अतिंम समय में भी एकता का संदेश देते रहे।
समाजिक असमानता जाति के आधार पर कि जाती है। उच्च जाति को स्वर्ण निम्न जाति को अछूत की श्रेणी में रख कर देखा जाता है। इसी अछूत कहलाने वाले वर्ग के लिए भीमराव अम्बेडकर ने कार्य किया। वे स्वंय अछूत कहलाने वाली जाति से संबद्ध थे। सदियों तक वह व्यवस्था रुढ़ियों ओर परम्पराओं के नाम पर चलती रही है। निम्न जाति का शोषण किया जाता है। इसका परिणाम यह निकला कि समाज के समाज के कुछ वर्गों का अधिपत्य रहाओर कुछ को अधीनस्थता का जीवन जीना पड़ा। पिछड़े ओर शोषित वर्ग समाजिक सोपान में न केवल निचले स्तर पर चले गये।
भारत सरकार ने समाजिक जीवन में एक जैसा वर्ग स्थापित करने के लिए भारतिय सविधान में प्रावधान बनाये गये हैं। ये प्रावधान अलग-अलग स्तर पर दिखाई पड़ते है। अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत देश सभी नागरिको को विधि की समानता का अधिकार प्रदान किया गया हैं। जिससे समाजिक स्तर पर लोकतंत्र मजबूत होता दिखाई पड़ता है।
समाज में यदि समानता बनानी है। तो आम आदमी का  आर्थिक पक्ष मजबूत करना होगा। सरकारी योजनाओं से अछुते किसानों को उनका हक लेना होगा। एक मजबूत लोकतंत्र बनाने के लिए किसानो कि आय बढानी जरुरी है। आर्थिक पक्ष राजनीति को भी प्रभावित करता हैं।
बाहुबलीदंबग व्यक्तित्व वाला व्यक्ति नोटो से वोट खरीदता हैं। पं॰जवाहर लाल नेहरु ने ठिक ही लिखा है भूखे व्यक्ति के लिए वोट का कोई महत्व नही है। आर्थिक असमानता सम्पतिवान वर्ग का वर्चस्व बढाती हैं।शोषण और अन्याय की परिस्थितियाँ पैदा करती है। जो आक्रोष और अस्थिरता उत्पन्न करता हैं।
गांधी जी चुनावओं के लिए जनता से चंदा लेने के भी खिलाफ थे। चुनाव निधि के लिए सरदार पटेल के धन संग्रह के प्रति नाराजगी प्रकट करते हुए उन्होने कहा था किकांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए धन की जरुरत ही नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस के लोगों को अपनी सेवा और समर्पण भावना से जनता में ऐसा प्रभाव बनाना चाहिए कि मतदाता स्वंय उनका प्रचार करें। लेकिन कांग्रेस चुनाव निधि के लिए चंदा लेती रही। जिससे धनी लोगों से ली गयी थोक रकमें भी शामिल होती थी।
प्रश्न यह उठता है किविकसित विकासशील देशों मेंभ्रष्टाचार  के स्वरुप में यह अंतर क्यों हैं क्या यह संभव है कितीसरी और दुसरी दुनिया के देश भ्रष्टाचार  के मामले में कम से कम विकसित देशों के समान निचले स्तर काभ्रष्टाचार  समाप्त कर सकें ?
राजनीतिक सत्ता पुलिस का अपने पक्ष में इस्तेमाल करती हैं और कई बार सत्ताच्युत नेताओं तक को पुलिस को रगड़ा लग जाता है। पुलिस भ्रष्टाचार  जाति धर्म उम्र लिंग पेशा आदि कटघरों को नहीं मानता।
विकीलीक्स पर लगातारभ्रष्टाचार   का खुलासा हो रहा है। पक्ष और विपक्ष एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है। इसको समाप्त करने के लिए एक पहल पश्चिम बंगाल में बागडा़ सीट पर उपेन बिस्वास सीबीआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेषक चुनाव लड़ रहे है। बिस्वास चारा घोटले को सामने लेकर आये। बिस्वास की खास बात की चुनाव खर्च बागड़ा के लोग उठा रहे है। सारा चुनाव खर्च वेबसाईट पर डालेगें। बिस्वास मानना है की इस तरहभ्रष्टाचार  का खत्म किया जा सकता हैं। यदि सभी नेता अपना चुनावी खर्च का खुलास कर दें तोभ्रष्टाचार  खत्म हो जायेगा। कोई कमेटि बनने कि कोई जरुरत नहीं पडेगा।
तमिलनाडु में आईएएस अधिकारी यू सागायम’ ने वेब साईट पर अपनी संपत्ति घोषित करके राज्य के आईएएस अफसर के तौर पर इतिहास बनाया है।
1963 के अंत में तत्कालीन गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने घोशणा की उच्च पदों पर भ्रष्टाचार  को खत्म करने के लिए वे मजबूत कदम उठायेगें और अगर वे इसमें कामयाब नही हुए तो गृह मंत्री के पद से त्यागपत्र दे देगें।
1986 में स्वीडन की ए‐ बीबोफोर्स कंपनी से155 तोपें खरीदने का सौदा तय हुआ। स्वीडन कंपनी ने इस आदेश को पाने के लिए 64 करोड़ रुपयों की दलाली दी। इस कैस में निचली अदालत के एक जज ने बोफोर्स मामले को बंद करते समय सीबीआई को याद दिलाया की मामला 64 करोड़ रुपयों का था और इस कैस पर 250 करोड़ रुपयों खर्च कर दिये गये हैं।
आरुषि हेमराज हत्या कांडकॉमनवेल्थ गेम्सदूरसंचार विभाग2-जी स्पेक्ट्रम जैसे बहुत कैस आज भी अदालतों मेंऔर कमेटीयों में चल रहे है। जाने कब तक चलते रहगें आम आदमी से लूटा हुआ पैसा कब तक विदेशों में जमा रहेगां ?

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